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Big Data Kya Hai? इसके प्रकार, उपयोग और क्यों है जरुरी

Big Data Kya Hai? इसके प्रकार, उपयोग और क्यों है जरुरी

नमस्कार दोस्तों, आज हम बात करने वाले हैं Big Data Kya Hai? इसका क्या अर्थ है? इसके कितने प्रकार है? और इसका क्या उपयोग है? दोस्तों वर्तमान समय में जिस तरह technology बढ़ रही है, उसके चलते बिग डाटा शब्द का उपयोग भी तेजी से हो रहा है।

अगर आप टेक्नोलॉजी के क्षेत्र से जुड़े हैं, तो आप बिग डाटा के बारे में जरूर जानते होंगे, वहीं अगर आपने इसका नाम पहली बार सुना है, तो आज इस आर्टिकल में हम आपके लिए Big Data Kya Hai? से जुड़ी संपूर्ण जानकारी लेकर आए हैं। 

दोस्तों, जिस तरह हर एक क्षेत्र में Machine Learning, Data Science, और Artificial Intelligence जैसी टेक्नोलॉजी का उपयोग हो रहा है, जिसके लिए काफी बड़ी मात्रा में डाटा यानी बिग डाटा का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन अब सवाल यह उठता है कि आखिर Big Data Kya Hai? तो आइए इसे विस्तार से समझते हैं।

Big Data (Overview)

 Big Data Kya Hai? दोस्तों, जैसा कि हम सब जानते हैं, Data वर्तमान समय की सबसे मूल्यवान वस्तु है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि आज किसी भी छोटे-बड़े काम या फिर बिजनेस को चलाने के लिए डाटा की मदद ली जाती है, और यह fact है, कि बिना डाटा के किसी भी तरह का बिजनेस नहीं चल सकता।

इसलिए आज किसी भी प्रकार की कंपनी अपने कस्टमर्स के डाटा पर नजर रखती है, एक कंपनी को सुचारू रूप से चलाने के लिए बड़ी मात्रा में डाटा को स्टोर करने की जरूरत होती है। और इस डेटा का उपयोग कंपनी कस्टमर की पसंद- नापसंद जानने, उनके बिहेवियर को समझने और उनके buying pattern को समझने तथा अपने उत्पाद और सेवाओं में सुधार करने के लिए करती है।

दोस्तों अगर आप ऑनलाइन जॉब करते हैं, या फिर एक ऑनलाइन जॉब सीकर हैं, तो आप भली-भांति जानते होंगे कि किस प्रकार आजकल बिग डाटा से जुड़े लोगो की डिमांड है, और बिग डाटा से संबंधित जॉब काफी अच्छा पैसा भी देती है, क्योंकि यहां एक ट्रेंडिंग और भविष्य में चलने वाली तकनीक है।

बिग डाटा के इसी ट्रेंड और करियर की संभावनाएं होने की वजह से आज कहीं जगह बिग डाटा को पढ़ने की सलाह दी जाती है। लेकिन दोस्तों अब सवाल यह उठता है कि वास्तव में Big Data Kya Hai? इसका इस्तेमाल कैसे और कहां किया जाता है? तो आइए जानते हैं-

बिग डाटा शब्द का मतलब (Meaning)

दोस्तों बिग डाटा शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- बीग (Big) और डाटा (Data) यहां बिग शब्द का मतलब है बड़ा या विशाल और डाटा का मतलब है सूचना, यानी इंफॉर्मेशन, आंकड़े और जानकारी।

और इस तरह बिग डाटा शब्द का मतलब हुआ सूचनाओं या जानकारियों का एक विशाल संग्रह या फिर इंफॉर्मेशन, जानकारी का एक बहुत बड़ा भंडार।

बिग डाटा क्या है? (What Is Big Data)

Big Data Kya Hai? बिग डाटा का मतलब है कि बड़ा डाटा, यानी की भारी मात्रा में डाटा। यह डाटा अक्सर ट्रेडिशनल डेटाबेस भी कहीं गुना ज्यादा बड़ा होता है, और इस डाटा में Structured, Semi-Structured और Unstructured डाटा शामिल होता है।

बिग डाटा में volume, velocity, variety और veracity जैसे फैक्टर्स की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, और इसके लिए कुछ स्पेशल टेक्नोलॉजी और tools का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे कि- Hadoop, Spark, NoSQL databases, data mining algorithms, machine learning, और data visualization tools.

दोस्तों आपको बता दें बिग टाटा का इस्तेमाल आजकल बहुत से इंडस्ट्री में हो रहा है, जैसे कि हेल्थ केयर, रिटेल, टेलीकम्युनिकेशन, सोशल मीडिया और फाइनेंस आदि।

दोस्तों सरल शब्दों में कहे तो वे सूचनाएं जो digitally create हो रही हैं, या फिर लिखी जा रही है, यह सभी डाटा है। उदाहरण के तौर पर आप गूगल पर कोई जानकारी सर्च करते हैं, या उसे पढ़ते हैं वहां जानकारी एक डाटा के रूप में गूगल में स्टोर है। 

इसी तरह आप अपने कंप्यूटर या फिर मोबाइल फोन में कुछ लिख लिखते हैं, वीडियो शूट करते हैं, मैसेज भेजते हैं, या फिर फोटो क्लिक करते हैं, यहां सब एक डाटा है। 

दोस्तों बिग डाटा इसी इंफॉर्मेशन डाटा का प्रतिनिधित्व करता है, यानी बहुत सारा डाटा मिल कर बिग डाटा का निर्माण करता है, यह डाटा इतना बड़ा हो सकता है, कि इसे कोई भी डाटा मैनेजमेंट टूल, store या फिर collect नहीं कर सकता।

उम्मीद है आपको Big Data Kya Hai? समझ में आ गया होगा आईये अब हम इसकी विशेषताओं के बारे में जानते है। 

बिग डाटा की विषेशताएं (5Vs of  Big data)

 दोस्तों बिग डाटा की पांच मुख्य विशेषताएं हैं, जिन्हें सामान्य तौर पर 5Vs of  Big data के नाम से जाना जाता है, आइए जानते हैं बिग डाटा के 5Vs के बारे में। 

1. Velocity

दोस्तों Velocity का मतलब है डाटा की गति या स्पीड, यानी डाटा कितनी तेजी से जनरेट हो रहा है, और कितनी तेजी से प्रोसेस हो रहा है। बिग डाटा में डाटा Velocity का लेवल बहुत ज्यादा होता है, क्योंकि डाटा लगातार और रियल टाइम बेसिस पर जनरेट होता रहता है। 

जैसे कि सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स वेबसाइट के यूजर्स की ऑनलाइन एक्टिविटीज, सेंसर नेटवर्क से कलेक्ट डाटा, फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन और भी बहुत से सोर्सेस हे जहा डाटा Velocity बहुत हाई होती है।

 इसलिए बिग डाटा के लिए स्पेशल tools और technologies का इस्तेमाल किया जाता है, जो हाई Velocity डाटा के लिए ऑप्टिमाइज्ड होते हैं, जैसे कि रियल टाइम डाटा प्रोसेसिंग, स्ट्रीम प्रोसेसिंग और कंपलेक्स इवेंट प्रोसेसिंग। 

2. Volume

Volume का अर्थ है डाटा की क्वांटिटी यानी मात्रा, यानी कि बिग डाटा में उपलब्ध डाटा का बहुत बड़ा साइज होता है, ट्रेडिशनल डेटाबेस की तरह बिग डाटा के स्टोरेज रिक्वायरमेंट्स भी बहुत हाई होते हैं। बिग डाटा में डाटा वॉल्यूम की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जिसमें पेटाबाइट्स या एक्साबाइट डाटा शामिल हो सकता है।

आपको बता दें डाटा वॉल्यूम के साथ-साथ बिग डाटा में स्केलेबिलिटी और डाटा redundancy भी बहुत महत्वपूर्ण फैक्टर होता है। जिससे कि डाटा लॉस और सिस्टम डाउनटाइम जैसे issues को avoide किया जा सके। इसलिए बिग डाटा के लिए scalable स्टोरेज सॉल्यूशंस का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे कि डिस्ट्रीब्यूटर फाइल सिस्टम जैसे की – Hadoop Distributed File System (HDFS) और object storage जैसे की Amazon S3.

3. Variety

Variety का मतलब है बिग डाटा में मौजूद डाटा के अलग अलग टाइप और फॉर्मेट। बिग डाटा के सोर्स अक्सर नॉनस्ट्रक्चरल सेमी स्ट्रक्चर्ड डाटा भी शामिल करते हैं। उदाहरण के लिए text, images, videos, audio files, social media posts, clickstream data, sensor data, और भी अन्य sources। 

इसलिए बिग डाटा में डाटा Variety बहुत हाई होती है, और ट्रेडिशनल डेटाबेस के लिए डिजाइन किया गया डाटा स्कीमा और डाटा मॉडल, बिग डाटा के लिए sufficient नहीं होता है।

 इसलिए बिग डाटा के लिए फ्लैक्सिबल डाटा मॉडल्स का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि NoSQL databases aur schema-on-read data models, इसके अलावा बिग डाटा के लिए डाटा इंटीग्रेशन और डाटा ट्रांसफॉरमेशन tools का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे कि अलग-अलग डाटा सोर्सेस और फॉर्मेट को एक साथ प्रोसेस किया जा सके। 

4. Veracity

Veracity का अर्थ है डाटा की सही होने की degree यानी कि डाटा क्वालिटी। बिग डाटा के सोर्सेस अक्सर unreliable होते हैं, और डाटा में errors, inconsistencies,और inaccuracies हो सकती है, इसलिए बिग डाटा में डाटा Veracity बहुत महत्वपूर्ण रोल प्ले करती है। क्योंकि सही डाटा ही एक्यूरेट इनसाइट्स और सही निर्णय लेने में सहायता प्रदान कर सकता है। 

डाटा Veracity को इंश्योर करने के लिए बिग डाटा के लिए डाटा गवर्नेंस और डाटा क्वालिटी प्रोसेसेस का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे कि data validation, data cleansing, data profiling, aur data monitoring. इसके अलावा बिग डाटा में डाटा lineage और provenance का भी ध्यान रखा जाता है। जिससे कि डाटा की authenticity और रिलायबिलिटी की ट्रेकिंग की जा सके। 

5. Value 

Value का मतलब है बिग डाटा से इनसाइट्स और वैल्यू जनरेट करने की कैपेबिलिटी। बिग डाटा के लिए डाटा volume, velocity, variety और veracity बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। लेकिन इन सभी फैक्टर से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि डाटा से इनसाइट्स और वैल्यू जेनरेट कैसे किया जा सके।

Big data analytics techniques, जैसे की data mining, machine learning, और predictive analytics का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे कि बिग डाटा से वैल्युएबल इनसाइट्स और पैटर्न लिए जा सके और डिसीजन मेकिंग और बिजनेस स्टडीज में इंप्रूवमेंट किया जा सके।

बिग डाटा से वैल्यू जनरेट करने के लिए डाटा एनालिटिक्स के साथ-साथ डाटा विजुलाइजेशन टूल्स का भी इस्तेमाल किया जाता है, जिससे कि डाटा के इनसाइट्स को visually present किया जा सके और डिसीजन मेकर्स को डाटा के trends और इनसाइट्स का बेहतर रिजल्ट मिल सके। 

बिग डाटा Creation (उत्पादन)

दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी कि हर रोज लगभग 2.5 Quintillion Bytes  से भी अधिक डाटा का उत्पादन होता है। अकेला न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज ही लगभग 1 टेराबाइट से अधिक का डाटा उत्पादन करता है, इसके अलावा बिग डाटा के क्रिएशन में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भी बहुत बड़ा हाथ है। 

इसी तरह वर्ल्ड के तमाम एलाइंस मिलकर रोजाना लगभग 1000 टेराबाइट डाटा का उत्पादन करते हैं, हालांकि एक आम इंसान के लिए इस डाटा का कोई खास महत्व नहीं है। लेकिन आपको बता दें कई बड़ी-बड़ी कंपनियां, समाचार एजेंसियां और राजनीतिक दलों के लिए यहां डाटा महत्वपूर्ण रोल अदा करता है।

 बिग डाटा के प्रकार (Types)

दोस्तों वैसे तो डाटा के कई प्रकार होते हैं, लेकिन मुख्य तौर पर यह बिग डाटा के चार प्रकार हैं इनकी जानकारी नीचे दी गई है।

 Structured Data

Structured Data वह डाटा होता है, जो आसानी से संग्रहित और एक्सेस किया जा सके, यहां डाटा रिलेशनल डेटाबेस में स्टोर होता है। और आसानी से query और analyze किया जा सकता है। आपको बता दें इस तरह का डाटा अक्सर rows और columns के फॉर्मेट में स्टोर किया जाता है।

 Unstructured Data

Unstructured Data- text, videos, audio, और images का फॉर्मेट, यहां structured Data की तरह नहीं होता है। इस तरह का डाटा अक्सर नॉन रिलेशनल डाटाबेस या फाइल सिस्टम में स्टोर किया जाता है, इसके लिए डाटा माइनिंग और मशीन लर्निंग टेक्निक का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे कि insights और patterns का पता लगाया जा सके।

 Semi-Structured Data

Semi-Structured Data- जैसे की XML, JSON,और HTML का फॉर्मेट, यह structured डाटा की तरह नहीं होता है। लेकिन इसमें डाटा elements और tags का स्ट्रक्चर होता है, इस तरह का डाटा अक्सर NoSQL डाटाबेस में स्टोर किया जाता है।

 Real-time Data

Real-time Data- जैसे कि sensor data, social media data, और financial trading data लगातार real time basis पर generate होता है। इस तरह के डाटा में velocity और volume दोनों high होते है, और इसके लिए real-time processing technics का इस्तेमाल किया जाता है।

 दोस्तों इन सभी डाटा के प्रकार में डाटा volume और velocity की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। और इसके लिए स्पेशल टेक्नोलॉजी tools का इस्तेमाल किया जाता है।

 बिग डाटा के फायदे (Advantages)

दोस्तों बिग डाटा के कई फायदे हैं आइए जानते हैं-

  • बिग डाटा analytics techniques का इस्तेमाल करके, ऑर्गेनाइजेशन महत्वपूर्ण इनसाइड और पैटर्न निकाल सकते हैं, जिससे कि सही और सटीक निर्णय लिया जा सके। 
  • बिग डाटा की मदद से, organizations customer behavior aur preferences को आसानी से समझ सकते हैं, जिससे कि प्रोडक्ट और सर्विसेस को कस्टमाइज करने में मदद मिल सके और कस्टमर एक्सपीरियंस को बढ़ा सकें। 
  • बिग डाटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल करके ऑर्गेनाइजेशंस ऑपरेशनल कॉस्ट को कम कर सकती है, जिससे कि efficiency और प्रोडक्टिविटी बढ़ सके। 
  • बिग डाटा की मदद से ऑर्गेनाइजेशन नए बिजनेस अपॉर्चुनिटी identify कर सकती है, जैसे कि न्यू मार्केट, न्यू प्रोडक्ट और न्यू रेवेन्यू स्ट्रीम, जिससे कि बिजनेस को ग्रो करने में मदद मिल सके। 
  • बिग डाटा की मदद से ऑर्गेनाइजेशन रिक्स को identify और मैनेज कर सकती है, जैसे कि fraud detection, cybersecurity, और compliance management.
  • बिग डाटा analytics techniques का इस्तेमाल करके कंपनी personalized मार्केटिंग और टारगेटेड एडवरटाइजिंग कर सकती है। जिससे कि मार्केटिंग effectiveness को बढ़ाया जा सके। 

बिग डाटा के नुकसान (Disadvantages)

दोस्तों, हर एक चीज के दो पहलू होते हैं, अगर किसी चीज से हमें लाभ है, तो उसके कुछ नुकसान भी होंगे। उसी प्रकार बिग डाटा के भी कुछ नुकसान है, आइए जानते हैं-

  • बिग डाटा में बड़ी मात्रा में sensitive डाटा जैसे की पर्सनल इनफार्मेशन, फाइनेंशियल डाटा और confidential business information स्टोर होती है, इसलिए ऑर्गेनाइजेशंस को डाटा प्राइवेसी और सिक्योरिटी रिस्क को मैनेज करना बहुत जरूरी है, नहीं तो डाटा breaches और cyber-attacks हो सकते हैं। 
  • बिग डाटा सोर्सेस अक्सर unreliable होते हैं. और डाटा में  errors, inconsistencies, और inaccuracies हो सकती है, इसके लिए डाटा quality को ensure करना बहुत महत्वपूर्ण है, नहीं तो inaccurate insights और decision-making की प्रॉब्लम हो सकती है। 
  • बिग डाटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल करने के लिए ऑर्गेनाइजेशंस को बड़ी मात्रा में फाइनेंशियल रिसोर्सेस कंप्यूटिंग पावर और स्किल्ड मैनपॉवर की जरूरत होती है। इसके लिए आर्गेनाइजेशन को upfront investment करना पड़ता है, और ongoing maintenance और upgrade costs भी होता है।
  • बिग डाटा एनालिटिक्स techniques का इस्तेमाल प्राइवेसी और एथिकल concerns को बढ़ाने के लिए भी हो सकता है, जैसे कि डाटा कलेक्शन और उसकी ट्रांसपेरेंसी और डाटा bias और discrimination.

बिग डाटा का इतिहास (History)

दोस्त आपको बता दें बिग डाटा का इतिहास काफी पुराना है, अगर आप इतिहास में जाएंगे तो आपको पता चलेगा कि सबसे पहले सन 1963 में बिग डाटा का उपयोग किया गया था, उस समय यूरोप में bubonic plague फैला हुआ था, और John Graunt इस पर रिसर्च कर रहे थे, इसी सिलसिले में John Graunt ने भारी मात्रा में जानकारी यानी डेटा का सामना किया था। 

दोस्तों Graunt स्टैटिकल डाटा विश्लेषण का उपयोग करने वाले पहले व्यक्ति थे, इसके बाद सन 1800 के दशक की शुरुआत में डाटा के संग्रह और विश्लेषण के लिए स्टैटिक डाटा के क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ, लेकिन आपको बता दें बिग डाटा को सन 1880 में पहली बार एक समस्या के रूप में आभास किया गया था।

 दोस्तों, उस समय अमेरिकी जनगणना ब्यूरो ने ऐलान किया था, कि उस वर्ष जनगणना कार्यक्रम के दौरान एकत्र किए गए डाटा को संभालने और संशोधित करने में 8 साल लगेंगे इसलिए सन 1881 में Herman Hollerith Buero के एक व्यक्ति ने “हॉलेरिथ टेबुलेटिंग मशीन” का आविष्कार किया और इस मशीन ने गणना के कार्य को काफी आसान कर दिया था।

इसके बाद बीसवीं सदी मैं डाटा के उत्पादन में तेजी आई क्योंकि उस वक्त सूचनाओं को चुंबकीय रूप से संग्रहित करने और संदेशों को स्कैनिंग करने के लिए मशीनें और कंप्यूटर बनना शुरू हो गए थे।

जिससे कि बिग डाटा का विकास एक प्रमुख बिंदु बन गया, इसके बाद सन् 1965 में अमेरिकन सरकार ने लाखो फिंगरप्रिंट सेट और टैक्स रिटर्न्स को संग्रहित करने के उद्देश्य से पहला डाटा सेंटर बनाया, फिर जैसे-जैसे आवश्यकता पड़ी बिग डाटा उपकरणों का अविष्कार होता गया।

कहां इस्तेमाल होता है बिग डाटा? (उपयोग)

Healthcare

दोस्तों health केयर सेंटर्स में हॉस्पिटल रीसर्चर्स और Pharmaceutical कंपनी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और जीवन रक्षक दवाइयों की खोज करने के लिए बिग डाटा का उपयोग करती है, साथ ही बड़ी मात्रा में मरीजों के डाटा का विश्लेषण करने और गंभीर रोगों का इलाज ढूंढने के लिए भी बिग डाटा की मदद ली जाती है।

 Media और Entertainment

 दोस्तों ओटीटी प्लेटफॉर्म्स जैसे कि Hotstar, Netflix आदि पर अगर आप movies या web-series देखते हैं, तो आपको मालूम होगा कि इन सभी platforms का इस्तेमाल करने के लिए आपको पहले sign-up करना होता है, यानी कि आपको अकाउंट बनाना पड़ता है, आपकी पसंद बतानी पड़ती है, और पर्सनल डाटा शेयर करना होता है।

आपको बता दें, असल में यह आपकी प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखते हैं, जैसे कि आप क्या देख रहे हैं? क्या सर्च कर रहे हैं? किस तरह के प्रोग्राम आपको ज्यादा देखना पसंद है? कौन से फॉर्मेट में आप देखना पसंद कर रहे हैं?

अर्थात फिल्में ज्यादा देख रहे हैं, या फिर वेब सीरीज, टीवी सीरियल देख रहे हैं या फिर रियलिटी शो साथ ही आप दिन के किस वक्त यहां चीजें देखते हैं, यह सारी जानकारी ओटीटी प्लेटफॉर्म इकट्ठा करते हैं, और अपने फायदे के लिए इस डाटा का इस्तेमाल करते हैं।

अर्थात इकट्ठा किए गए डाटा का इस्तेमाल ना सिर्फ यूजर्स को पर्सनल कंटेंट रिकमेंडेशन करने के लिए किया जाता है, बल्कि ऐसे प्रोग्राम के निर्माण में भी इसका उपयोग किया जाता है, जो यूजर्स को सबसे ज्यादा पसंद आता है। क्योंकि डाटा की मदद से OTT प्लेटफार्म को पता चल जाता है, कि लोग क्या देखना चाहते हैं, Netflix ग्राहकों की प्राथमिकताओं के बारे में निर्णय लेने के लिए ग्राफिक्स टाइटल और रंगों के डाटा का भी उपयोग करता है।

Finance

दोस्तों फाइनेंस सेक्टर में बिग डाटा का उपयोग बैंकों के साथ धोखाधड़ी का पता लगाने, लोन, इंश्योरेंस क्रेडिट स्कोर, ब्रोकरेज सर्विसेज, ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी और जोखिम का अलंकरण करने और भविष्य में होने वाले फायदे और नुकसान का पता लगाने के लिए किया जाता है। साथ ही फाइनेंस संस्थान अपने साइबर सुरक्षा के प्रयासों को बढ़ाने और ग्राहकों के लिए वित्तीय निर्णय को पर्सनलाइज करने के लिए भी बिग डाटा का बहुत बड़े स्तर पर उपयोग कर सकती है। 

Aggriculture

बिग डाटा का उपयोग एग्रीकल्चर सेक्टर में भी बड़े पैमाने पर किया जाता है, जैसे कि बीजों के उत्पादन से लेकर नई-नई किस्मों के विकास में, मृदा स्वास्थ्य, फसल चक्र, कीट प्रबंधन, वाटर साइकिल, ऑटोमेटिक इरिगेशन सिस्टम, क्लाइमेट चेंज जैसे अनेकों कार्य में बिग डाटा का उपयोग किया जाता है, साथ ही वैश्विक स्तर पर भूखमरी और कुपोषण जैसी समस्याओं के अलंकार में भी बिग डाटा महत्वपूर्ण रोल अदा करता है।

 आपको बता दें आज विश्व भर में भुखमरी और कुपोषण से लड़ने के लिए मुहिम चलाई जा रही है, इसमें ग्लोबल ओपन डाटा फॉर एग्रीकल्चर एंड न्यूट्रिशन (GODAN) जैसे समूह महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। जी ओ डी ए एन जैसे समूह के साथ भुखमरी से पीड़ित लोगों का डाटा शेयर करने वैश्विक पोषण और कृषि को बढ़ावा देने में मदद मिल रही है, साथ ही वैश्विक भूख और कुपोषण को समाप्त करने में भी मदद मिल रही है।

 बिग डाटा में करियर की संभावना

अगर बात की जाए करियर की तो बिग डाटा एक ऐसी फील्ड है, जहां करियर की अपार संभावनाएं नजर आती है। क्योंकि यह एक फ्यूचरिस्टिक टेक्नोलॉजी पर आधारित है, इसका इस्तेमाल और तेजी से बढ़ रहा है, इसलिए करियर के हिसाब से यह एक बढ़िया ऑप्शन हो सकता है। लेकिन उसके लिए भी आपके पास कुछ आवश्यक skills का होना जरूरी है, अगर आप भी डाटा इंजीनियर बनना चाहते हैं, तो आपके पास निम्नलिखित skills का होना जरूरी है। 

  • Database और SQL
  • Programming Languages 
  • ETL और Data Warehousing
  • Operating System की जानकारी
  •  Hadoop Tools और Frameworks
  • Apache Spark
  •  Data Mining और Modeling

FAQs:

  1.  Big Data Kya Hai?
  • बिग डाटा का मतलब है, बड़ा डाटा यानी कि सूचनाओं का बहुत बड़ा संग्रह या फिर इंफॉर्मेशन का बहुत बड़ा भंडार इसमें Structured, Unstructured और Semi-Structured डाटा शामिल हो सकता है।

2. बिग डाटा के कितने प्रकार होते हैं?

  • सामान्यतः बिग डाटा के तीन प्रकार हैं- Structured, Unstructured और Semi-Structured.

3. Big डाटा के लिए कौन-कौन से tools उपलब्ध है।

  • Big डाटा tools- Apache Hadoop,  Apache Spark, Apache Storm, MongoDB, Apache Flink, Kafka आदि टूल्स उपलब्ध है।

4. बिग डाटा के 5V कौन से हैं?

  • Big Data की 5V यानि इसकी 5 विशेषताएं- Volume,Velocity, Variety, Veracity, और Value है।

हमने क्या सीखा

इस पोस्ट के माध्यम से हमने Big Data Kya Hai? इसका कैसे इस्तेमाल किया जाता है? बिग डाटा बिजनेस के लिए क्यों आवश्यक है? इसके फायदे क्या क्या है? इसके नुकसान और साथ ही हमने बिग डाटा में कैरियर कैसे बना सकते हैं? इस बारे में जाना।

 उम्मीद है, आपको यह आर्टिकल  Big Data Kya Hai? पसंद आया होगा, यदि हां तो इसे अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर शेयर जरूर करें, साथ ही अगर आपका इस से जुड़ा कोई प्रश्न या सुझाव है, तो आप हमसे कमेंट में पूछ सकते हैं, हम आपके सवाल का जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे। 

Operating System Kya Hai? सम्पूर्ण जानकारी हिन्दी में

Operating System Kya Hai? सम्पूर्ण जानकारी हिन्दी में

नमस्कार दोस्तों, आज हम बात करने वाले हैं-Operating System Kya Hai? यहां कैसे काम करता है? इसकी परिभाषा है? इसके प्रकार, कार्य और इसकी विशेषताओं के बारे में। दोस्तों वर्तमान समय में टेक्नोलॉजी जिस तरह बढ़ रही है, उस हिसाब से आज प्रत्येक क्षेत्र में मानव जीवन तरक्की पर है।  दोस्तों, अगर आप कंप्यूटर या … Read more

RAM Kya Hai? परिभाषा, प्रकार, विशेषताएं और कार्य

RAM Kya Hai In Hindi

नमस्कार दोस्तों, आज हम बात करने वाले है- RAM Kya Hai? कितने प्रकार की होती है? यह कैसे काम करती है, इसकी क्या विशेषताएं है अदि के बारे में। दोस्तों, अगर आप कंप्यूटर या फिर मोबाइल का उपयोग करते हैं, तो आप RAM बारे में तो जानते ही होंगे, या फिर आप अपने लिए नया फोन, लैपटॉप या फिर कंप्यूटर खरीदने जाते हैं, तो दुकानदार से अवश्य पूछते होंगे कि इस कंप्यूटर, फोन या लैपटॉप में कितनी रेम है? 

दोस्तों, RAM एक ऐसा प्रमुख हार्डवेयर component है, जो कंप्यूटर या मोबाइल में इस्तेमाल किया जाता है। ये temporary storage के लिए इस्तेमाल होती है, और Processor उसकी एक्सेस की सुविधा प्रदान करता है। रैम की कैपेसिटी, परफॉर्मेंस और स्पीड आपके कंप्यूटर के overall परफॉर्मेंस को भी प्रभावित करता है। 

जब आप कोई प्रोग्राम में या फाइल open करते हैं, तो रेम के अंदर temporary स्टोर हो जाता है, और जब आप उस प्रोग्राम या फाइल को use करते हैं, तो प्रोसेसर उसके इंस्ट्रक्शन और डाटा को रैम के अंदर एक्सेस करता है, आज इस आर्टिकल में हम रैम के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं, तो अगर आप भी जानना चाहते हैं, RAM Kya Hai? तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें। 

RAM Kya Hai?

RAM क्या है? (What Is RAM)

RAM (Random Access Memory) एक कंप्यूटर की अस्थायी मेमोरी होती है, जिसमे कंप्यूटर के द्वारा सक्रिय रूप से उपयोग किए जाने वाले डेटा, प्रोग्राम और निर्देशों को अस्थायी रूप से स्टोर किया जाता है।

रैम को volatile मेमोरी भी कहा जाता है, क्योंकि जब कंप्यूटर को बंद किया जाता है, तो रैम के अंदर Stored डेटा, प्रोग्राम और निर्देश भी डिलीट हो जाते हैं। रैम के अंदर की मेमोरी, प्रोसेसर के द्वार सीधे एक्सेस की जाति है, और इसमें डेटा को randomly एक्सेस किया जा सकता है, इसिलए इसे Random Access Memory कहा जाता है।

कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर, जब चलते हैं तो वो सब रैम के अंदर लोड हो जाते हैं और जब वो सॉफ्टवेयर या ऑपरेटिंग सिस्टम को इस्तेमाल करते हैं, तो वो रैम से डेटा और निर्देश एक्सेस करते रहते हैं। जितना ज्यादा रैम कंप्यूटर में होगा, उतना ही ज्यादा डेटा और प्रोग्राम कंप्यूटर के रैम में स्टोर किया जा सकता है और कंप्यूटर का परफॉर्मेंस भी उतना ही बेहतर होगा।

RAM की परिभाषा (Definition)

RAM Kya Hai?– रैम का मुख्य काम कंप्यूटर के अस्थायी स्टोरेज के लिए मेमोरी प्रदान करना होता है। RAM का पूरा नाम “रैंडम एक्सेस मेमोरी” है, इसका मतलब है कि रैम के अंदर की मेमोरी, प्रोसेसर के द्वार डायरेक्ट एक्सेस की जा सकती है। और इसमें डेटा को रैंडम एक्सेस किया जा सकता है।

रैम को वोलाटाइल मेमोरी भी कहा जाता है, क्योंकि जब कंप्यूटर को बंद किया जाता है, तो रैम के अंदर स्टोर्ड डेटा, प्रोग्राम और निर्देश भी डिलीट हो जाते हैं।

रैम का मुख्य उद्देश्य कंप्यूटर के Operating System और Software को load करने और उन्हें इस्तेमाल करने के लिए अस्थायी तौर पर स्टोरेज प्रदान करना है। जब आप कोई प्रोग्राम या फाइल कंप्यूटर में open करते हैं, तो ये रैम के अंदर टेम्पररी स्टोर हो जाते हैं,

और जब आप प्रोग्राम या फाइल को use करते हैं, तो वो रैम से डाटा और इंस्ट्रक्शन एक्सेस करता है। रैम के अंदर की मेमोरी की क्षमता ज्यादा हो तो कंप्यूटर का परफॉर्मेंस और स्पीड भी उतनी ही बेहतर होती है।

RAM के प्रकार (Types)

RAM (Random Access Memory) के दो प्रकार हैं:

1. Static RAM (SRAM)

Static RAM हाई-स्पीड मेमोरी होती है, और ये पावर की सप्लाई के बिना भी स्टोर की गई जानकारी को बरकरार रख सकती है। SRAM के अंदर की मेमोरी सर्किट, फ्लिपफ्लॉप के द्वार बने होते हैं, और यह ज्यादा महंगी होती है, इसका प्रयोग हाई-स्पीड कैश मेमोरी, रजिस्टर और बफरिंग सर्किट में किया जाता है।

2. Dynamic RAM (DRAM)

Dynamic रैम एक low-cost मेमोरी होती है, जिसे रिफ्रेश की जरूरत होती है, क्योंकि ये जानकारी को टेम्पररी स्टोरेज के लिए कैपेसिटर में स्टोर करता है। ये कैपेसिटर चार्ज के बिना चार्ज के द्वार retain की गई जानकारी को खो देता है।

DRAM की access time, SRAM से ज्यादा होती है, लेकिन इसकी कॉस्ट SRAM से कम होता है, इसीलिए ये आमतौर पर इस्तमाल की जाती है।

इनके अलावा, दो और प्रकार के रैम भी होते हैं, जो कि SRAM और DRAM के hybrid versions होते हैं:

Synchronous Dynamic RAM (SDRAM)

SDRAM, DRAM का एक upgrade version है, जिसका उपयोग हाई-स्पीड डेटा ट्रांसफर के लिए किया जाता है। SDRAM ने DRAM की लेटेंसी और साइकिल टाइम प्रॉब्लम्स को solve किया है, और ये प्रोसेसर के साथ synchronous clock signal यूज करता है, जिससे ये प्रोसेसर के द्वार fast access की जा सकती है।

Double Data Rate Synchronous Dynamic RAM (DDR SDRAM)

DDR SDRAM, SDRAM का एक upgrade version है, जो कि डेटा ट्रांसफर स्पीड को double कर देता है। डीडीआर एसडीआरएएम का उपयोग उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग, वीडियो गेम, और हाई-एंड ग्राफिक्स के लिए किया जाता है।

RAM कैसे काम करती है? (Working)

RAM (रैंडम एक्सेस मेमोरी) कंप्यूटर के लिए temporary स्टोरेज के लिए मेमोरी प्रदान करती है। जब आप कोई प्रोग्राम या फाइल कंप्यूटर में ओपन करते हैं, तो ये रैम के अंदर टेम्पररी स्टोर हो जाते हैं, और जब आप प्रोग्राम या फाइल को यूज करते हैं, तो वो रैम से डाटा और इंस्ट्रक्शन एक्सेस करता है।

रैम के अंदर की मेमोरी की क्षमता ज्यादा हो तो कंप्यूटर के परफॉर्मेंस और स्पीड भी उतनी ही बेहतर होती है। जब आप कोई प्रोग्राम या फाइल ओपन करते हैं, तो हम प्रोग्राम या फाइल के निर्देश और डेटा को रैम के अंदर टेम्पररी स्टोर किया जाता है। अगर वो प्रोग्राम या फाइल ज्यादा बड़ा है, तो ज्यादा रैम की जरूरत होती है।

जब आप प्रोग्राम या फाइल को use करते हैं, तो प्रोसेसर उसकी इंस्ट्रक्शंस और डेटा को रैम के अंदर से एक्सेस करता है। प्रोसेसर रैम के अंदर की मेमोरी को डायरेक्ट एक्सेस करता है, और उसमें से किसी भी जगह से डेटा को रीड कर सकता है। जब कंप्यूटर को बंद किया जाता है, तो रैम के अंदर स्टोर किया हुआ डेटा, प्रोग्राम और निर्देश भी डिलीट हो जाते हैं।

इसलिए, आपको अपने महत्वपूर्ण डेटा और फाइलों को परमानेंट स्टोरेज के लिए Hard Disk या सॉलिड स्टेट ड्राइव (SSD) में स्टोर करना चाहिए, ताकि वो डेटा सेफ रहे और फ्यूचर में भी आप उसे एक्सेस कर सकें।

RAM की विशेषताएं (Features)

Random Access

रैम के नाम का मतलब होता है “रैंडम एक्सेस मेमोरी“। इसका मतलब यह है कि रैम की मेमोरी में आप किसी भी address से डायरेक्ट एक्सेस कर सकते हैं। इसका मतलब है कि प्रोसेसर किसी भी निर्देश या डेटा को रैम के अंदर से बिना किसी sequence के एक्सेस कर सकते हैं।

Temporary Storage

RAM कंप्यूटर के टेम्पररी स्टोरेज के लिए इस्तेमाल होती है। जब आप कोई प्रोग्राम या फाइल open करते हैं, तो रैम के अंदर टेम्पररी स्टोर हो जाते हैं। जब आप प्रोग्राम या फाइल को यूज करते हैं, तो प्रोसेसर उसकी इंस्ट्रक्शंस और डेटा को रैम के अंदर से एक्सेस करता है।

High-Speed Access

रैम हाई-स्पीड एक्सेस की सुविधा प्रदान करती है। रैम की एक्सेस टाइम बहुत कम होती है, जिसके कारन प्रोसेसर को इंस्ट्रक्शन और डेटा को रैम से एक्सेस करने में कम टाइम लगता है।

Capacity

रैम के अंदर स्टोर की जाने वाली डेटा और निर्देश की क्षमता ज्यादा होनी चाहिए। आपके कंप्यूटर की परफॉर्मेंस और स्पीड रैम की Capacity पर भी निर्भर करता है।

Volatile

रैम वोलाटाइल होती है, यानि कि जब कंप्यूटर को बंद कर दिया जाता है, तो रैम के अंदर स्टोर्ड डेटा, प्रोग्राम और निर्देश भी डिलीट हो जाते हैं। इसलिए, आपको अपने महत्वपूर्ण डेटा और फाइलों को परमानेंट स्टोरेज के लिए हार्ड डिस्क या सॉलिड स्टेट ड्राइव (SSD) में स्टोर करना चाहिए।

Different Types

RAM के अलग-अलग प्रकार होते हैं जैसे SRAM, DRAM, SDRAM, DDR SDRAM, इत्यादि। सभी प्रकारों में प्रदर्शन, लागत और सुविधाओं में अंतर होता है।

Upgradability

रैम को आसनी से upgradable किया जा सकता है। आप अपने कंप्यूटर के रैम को अपग्रेड करके उसकी परफॉर्मेंस को बेहतर कर सकते हैं।

FAQs:

Ram क्या है in Hindi?

RAM एक कंप्यूटर की अस्थायी मेमोरी होती है, जिसमे कंप्यूटर के द्वारा सक्रिय रूप से उपयोग किए जाने वाले डेटा, प्रोग्राम और निर्देशों को अस्थायी रूप से स्टोर किया जाता है।

RAM का Full Form क्या है?

रैम का Full Form- Random Access Memory है। 

RAM के कितने प्रकार होते है?

RAM के दो प्रकार है- पहला Static RAM (SRAM) और दूसरा Dynamic RAM (DRAM).

RAM कहाँ स्थित होती है?

रैम कंप्यूटर के Motherboard पर स्थित होती है। 

RAM और ROM में क्या अंतर है?

RAM एक temporary स्टोरेज डिवाइस है, जिसका उपयोग कंप्यूटर के प्रोग्राम और फाइलों को अस्थायी रूप से स्टोर करने के लिए किया जाता है। जबकी ROM एक non-volatile storage डिवाइस है जिसका उपयोग कंप्यूटर के फर्मवेयर, BIOS और ऑपरेटिंग सिस्टम को स्थायी रूप से स्टोर करने के लिए किया जाता है।

हमने क्या सीखा

दोस्तों, इस पोस्ट के माध्यम से हमने RAM Kya Hai? कितने प्रकार की होती है, कैसे काम करती है और इसकी क्या विशेषताएं है, आदि के बारे में जाना। रैम कंप्यूटर के अस्थायी स्टोरेज के लिए इस्तेमाल होती है, और प्रोसेसर उसकी एक्सेस की सुविधा प्रदान करता है।

रैम हाई-स्पीड एक्सेस की सुविधा भी प्रदान करती है, और उसकी capacity भी आपके कंप्यूटर के परफॉर्मेंस और स्पीड पर प्रभाव डालता है। इसके अलावा, रैम वोलाटाइल होती है, जिस वजह से जब आप अपने कंप्यूटर को बंद करते हैं, तो उसके अंदर स्टोर्ड डेटा और निर्देश भी डिलीट हो जाते हैं।

रैम को आसनी से अपग्रेड किया जा सकता है, और इसके अलग-अलग टाइप में परफॉर्मेंस, कॉस्ट और फीचर्स में अंतर होता है। दोस्तों उम्मीद है, आपको यह पोस्ट RAM Kya Hai? पसंद आयी होगी, यदि हाँ तो इसे अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर शेयर जरूर करे। इसी के साथ अगर आपका इससे जुड़ा कोई प्रश्न हे तो कमेंट करके पूछ सकते है।

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